वक्फ संशोधित कानून 2025 के खिलाफ दायर याचिकाओं पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है। केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में वक्फ-बाय-यूजर प्रावधान के हटाने को लेकर कहा है कि वक्फ-बाय-यूजर की छूट से मौजूदा पंजीकृत वक्फ की संपत्तियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। एक झूठी कहानी बनाई जा रही है कि इस इस प्रावधान के हटने से सदियों पुरानी वक्फ की संपत्तियों पर असर पड़ेगा। संशोधित क़ानून की धारा 3(1)(आर) के मुताबिक, मौजूदा पंजीकृत वक्फ-बाय-यूजर संपत्ति के लिए कोई दस्तावेज प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है। इसमें एक मात्र शर्त यह है कि उन्हें 8 अप्रैल, 2025 (अधिनियम की अधिसूचना की तिथि) तक पंजीकृत होना चाहिए। हलफनामे में कहा गया है कि वक्फ भूमि का पंजीकरण कोई नई शर्त नहीं है। यह व्यवस्था सौ साल पहले से है जब से मुसलमान वक्फ एक्ट 1923 लागू हुआ था। 1954 और 1995 के वक्फ अधिनियम में भी ऐसा ही आदेश था।
कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं का विरोध करते हुए केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा है कि इन याचिकाओं में कहा गया है कि यह क़ानून अनुच्छेद 25 या 26 के तहत मिले मौलिक अधिकारों को छिनता है, याचिकाओं में कही गई ये बात झूठ है। वक्फ संशोधन कानून किसी के धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं करता। वक्फ भूमि निर्धारित करने का अधिकार सरकारी अधिकारी को देने के फैसले को लेकर केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा कि ऐसे कई चौंकने वाले उदाहरण हैं जिनमें सरकारी भूमि और यहां तक कि निजी भूमि को भी वक्फ संपत्ति घोषित किया गया है। चूंकि सरकारी भूमि सार्वजनिक ट्रस्ट में रखी जाती है, इसलिए विधायिका उन्हें संरक्षित करने और उनसे संबंधित विवादों का निपटारा करने के लिए एक तंत्र प्रदान कर सकती है। इसलिए सरकारी अधिकारी को वक्फ भूमि निर्धारित करने का अधिकार दिया गया है।
केंद्र सरकार के हलफनामे की मुख्य बातें:
केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा है कि चूंकि वक्फ बोर्ड अक्सर गैर-मुसलमानों की संपत्तियों पर अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हैं, इसलिए बोर्ड में गैर- मुस्लिम सदस्यों की उपस्थिति से दोनों पक्षों के लिए न्याय का समान अवसर उपलब्ध हो सकेगा। केंद्र ने आगे कहा कि ये कानून निर्वाचित प्रतिनिधियों की इच्छा का प्रतिबिंब है, क्योंकि ये संसद में पास हुआ है इसके लिए विस्तृत विचार विमर्श हुआ। यह जानकर हैरत हुई कि 2013 में लाए गए संशोधन के बाद,औकाफ क्षेत्र में 116% की वृद्धि हुई है। निजी संपत्तियों और सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण करने के लिए वक्फ प्रावधानों के दुरुपयोग की सूचना मिली है। यह जानना वास्तव में चौंकाने वाला है कि वर्ष 2013 में लाए गए संशोधन के बाद औकाफ क्षेत्र में 116% की वृद्धि हुई है। मुगल काल से पहले, स्वतंत्रता-पूर्व युग और स्वतंत्रता-पश्चात युग में भारत में कुल वक्फों की संख्या 1829163.896 एकड़ थी। चौंकाने वाली बात यह है कि 2013 के बाद वक्फ भूमि में 2092072.536 एकड़ की वृद्धि हुई है।