NEET-UG परीक्षा मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाओं के दायर होने का दौर जारी है। तन्मय शर्मा समेत 20 छात्रों ने याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में CBI या दूसरी एजेंसी से जांच कराने की मांग है। याचिका में इस परीक्षा में 620 अंक से ज्यादा पाने वाले छात्रों की अकादमिक और फॉरेंसिक जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी या सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी से कराने की मांग की गई है। इसके अलावा में NEET परीक्षा को दोबारा कराने के साथ-साथ केंद्र सरकार और NTA को परीक्षा के दौरान पारदर्शिता बरतने, पेपर लीक न होने और परीक्षा के दौरान गलत तरीकों के इस्तेमाल भविष्य न हो, इसके लिए उचित कदम उठाए जाने का निर्देश देने की मांग गई है।
याचिका में परीक्षा परिणामों की जांच के आधार पर सात बिंदुओं का हवाला दिया गया है। पहला इस परीक्षा में 67 बच्चों ने 100 प्रतिशत अंक हासिल किए, जिनमे से छह एक ही परीक्षा सेंटर के है। जबकि टॉप 70 में से आठ छात्र हरियाणा के झझर के एक सेंटर से है। साथ ही टॉप सौ बच्चों के रोल नंबर एक ही क्रम मे है।दूसरा 620 से 720 अंक पाने वाले छात्रों की संख्या पहले के मुकाबले 400 प्रतिशत तक बढ़ गई है जो पिछले साल मात्र प्रतिशत दशमलव चार से दशमलव छह प्रतिशत ही थी।वही पिछली बार टॉप 100 छात्रों की संख्या का प्रतिशत 2.5 ही था।जबकि 520 से 620 और उससे नीचे के वर्ग मे आने वाले छात्रों के प्रतिशत मे कोई खास अन्तर नहीं है। य़ह दर्शाता है कि सुनियोजित तरीके से खास बच्चों को एडमिशन दिलाने के लिए ऐसा किया गया।
तीसरा 1563 बच्चों को परीक्षा परिणामों मे NTA द्वारा बिना किसी नियम के ग्रेस मार्क दिया गया। NTA इसके लिए दोषी है कि परीक्षा समाप्त होने के बाद बिना किसी नियम के रूल मे बदलाव करते हुए ग्रेस मार्क दिए इसकी जांच की जाए। चौथा कुल 720 अंक मे से छात्रों द्वारा 718-719 अंक पाना मैथमेटकली सम्भव नहीं है क्योंकि परीक्षा मे सही जवाब के लिए चार और गलत जवाब के लिए एक नंबर काटने का प्रावधान है। ऐसे मे 180 प्रश्नों का उत्तर देने पर किसी भी स्थिति मे 718 या 719 अंक नहीं प्राप्त किया जा सकता।
पांचवा NEET-UG परीक्षा का पेपर लीक हुए क्योंकि NTA ने माना कि परीक्षा के दिन 4.25 मिनट पर ही पेपर सर्कुलेट हुए जबकि परीक्षा 5.20 पर समाप्त हुई। छठवीं परीक्षा देने में मिले कम समय का हवाला देकर कमपेनसटरी मार्क दिए जाए। सातवीं परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है क्योंकि OMR शीट की कार्बन कॉपी छात्रों को नहीं दी गई,जिससे धांधली की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। वही इस पूरे मामले मे कई FIR दर्ज की गई और कई लोगों को देशभर से गिरफ्तार किया गया। ऐसे मे इन बिंदुओं के आधार पर परीक्षा को रद्द किया जा सकता है।