आप राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ बदसलूकी के मामले में गिरफ्तार बिभव कुमार की ज़मानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर 7 अगस्त तक जवाब मांगा है। साथ ही कोर्ट ने मामले में दाखिल चार्जशीट की कॉपी भी दाखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 7 अगस्त को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बिभव कुमार के रवैए पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि बिभव कुमार को युवा महिला पर हाथ उठाते हुए शर्म नहीं आई? हम इस घटना से हतप्रभ है। सवाल छोटी या बड़ी चोट का नहीं है। क्या सीएम आवास किसी का अपना निजी आवास है, वो किस हैसियत से उन्हें रोक रहे थे। हमे नहीं लगता कि वो अपनी इस हरकत पर शर्मिंदा भी है।
जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली 3 जजों की पीठ में सुनवाई के दौरान बिभव कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि FIR तीन दिन बाद दर्ज कराई गई।स्वाति मालीवाल थाने गई लेकिन बिना FIR दर्ज कराए ही लौट गई। कोर्ट ने चार्जशीट के बारे में पूछा तो सिंघवी ने कहा कि जिस आदेश को हमने चुनौती दी है उसके बाद चार्जशीट दाखिल हुई है। सिंघवी ने हत्या के दो मामलों में आरोपी को जमानत मिलने का हवाला दिया तो जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हमें उन मामलों का हवाला ना दें, क्योंकि यहां किस तरह से घटनाक्रम हुआ वो हमारी चिंता का कारण है। कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री का घर क्या निजी संपत्ति है? हम इस दलील से सकते में हैं। हम जानना चाहते हैं कि घटना में चोट मामूली या गंभीर प्राकृत की थी।
सिंघवी ने कहा कि 75 दिन से जेल में है, उनके द्वारा सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते है। सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि बिभव को शर्म नहीं आई, वह एक महिला है। उसके साथ ऐसी हरकत की गई। य़ह किस तरह की नैतिक दृढ़ता है?। कोर्ट ने कहा कि हम कॉन्ट्रैक्ट किलर, हत्यारों को भी जमानत देते हैं लेकिन इस मामले में नहीं। सुनवाई के दौरान सिंघवी ने यह भी कहा कि घटना के तीन दिन बाद शिकायत दर्ज हुई। जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि क्या मालीवाल ने 112 पर कॉल किया? अगर हां तो यह आपके दावे को झूठा साबित करता है कि उसने मनगढ़ंत कहानी गढ़ी। जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री का सरकारी घर निजी आवास है? क्या इसके लिए इस तरह के नियमों की जरूरत है? हाईकोर्ट ने हर बात को सही तरीके से सुना है।