चुनाव से पहले फ्रीबीज यानि मुफ्त चीजों की घोषणाओं की निंदा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोग काम करने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि उन्हें मुफ्त राशन और पैसा मिल रहा है।सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि दुर्भाग्य से इन मुफ्त चीजों की घोषणा के कारण लोग काम करने को तैयार नहीं हैं, उन्हें मुफ्त राशन मिल रहा है, उन्हें बिना कोई काम किए ही राशि मिल रही है। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी शहरी इलाकों में बेघर लोगो के शेल्टर से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान की।
जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि लोगों को मुफ्त राशन और पैसा देने के बजाए य़ह बेहतर होगा कि ऐसे लोगों को समाज की मुख्यधारा का हिस्सा बनाया जाए ताकि वो देश के विकास के लिए योगदान दे सके। वहीं अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है, जो शहरी बेघरों के लिए आश्रय के प्रावधान सहित विभिन्न मुद्दों पर होगा। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने AG से कहा कि वो सरकार से निर्देश लेकर बताए कि उनका य़ह कार्यक्रम कब से लागू होगा। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 6 हफ्ते बाद के लिए तय कर दी।
फ्रीबीज के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली HC का सुनवाई से इंकार
वहीं दूसरी ओर फ्रीबीज के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई से इंकार कर दिया। दरअसल,आप, बीजेपी और कांग्रेस की ओर से किए जा रहे मुफ्त सुविधाओं के वायदे के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एसएन ढींगरा ने याचिका दायर की थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता कहा कि एक ही मामले में समानांतर सुनवाई नहीं की जा सकती है, ऐसे में आप सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करे। दिल्ली हाई कोर्ट ने यह आदेश तब दिया जब चुनाव आयोग ने हाई कोर्ट को बताया कि इसी तरह का एक मामला सुप्रीम कोर्ट मे लंबित है, जिसपर कोर्ट सुनवाई कर रहा है और इस मामले पर सुनवाई के लिए तीन जजों की पीठ का गठन किया जाना है।