दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में आरोपी दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। दरअसल, सिसोदिया ने ED और CBI केस जमानत की गुहार लगाई है। जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ में मंगलवार को सुनवाई के दौरान ED की ओर से पेश ASG एसवी राजू ने दलील देते हुए कहा कि वह उन दस्तावेजों की प्रतियां मांग रहे हैं जिन पर अभियोजन पक्ष ने भरोसा नहीं किया है। वे आरोप तय करने के लिए प्रासंगिक नहीं हैं। इसकी वजह से इससे देरी हो रही है।
जस्टिस केवी विश्वनाथन ने ASG से पूछा कि क्या आपने उन दस्तावेजों को देने के लिए दिए गए आदेश को चुनौती दी। कोर्ट ने पूछा दस्तावेजों के निरीक्षण का समय क्या है?। ASG ने कहा कि सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमने उन आदेशों को भी चुनौती दी है जो हाई कोर्ट में लंबित हैं। कुछ दस्तावेजों की रिहाई पर रोक भी लगी है। इसलिए देरी पूरी तरह से याचिकाकर्ता सिसोदिया के कारण हुई है।इसलिए उनके कारण हुई देरी का लाभ लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा कि 493 गवाह है बयान कब तक दर्ज हो सकते है। कोर्ट ने कहा आरोप कब तय होंगे? ASG ने कहा कि जब याचिकाकर्ता द्वारा दस्तावेजों का निरीक्षण पूरा हो गया है तो आरोप तय किए जाएंगे। जस्टिस बी आर गवई ने पूछा कि आपने स्वयं कहा था कि निरीक्षण की आवश्यकता नहीं है। वही सिसौदिया के लिए पेश सिंघवी ने कहा कि इस मामले मे तीन साल न्यूनतम और सात साल अधिकतम है। उसमे वह न्यूनतम कि आधी सजा काट चुके है। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हर जमानत के मामले में ED और CBI यही कहती है कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते है।