दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को फिर नसीहत दी है कि अपने ही निर्णयों और निर्देशों पर आयोग कोई एक्शन नहीं ले रहा क्योंकि कोई मीटिंग ही नहीं हो रही है। कोर्ट ने कहा कि ना तो हरियाणा और न ही पंजाब ने निर्देशों का पालन करने के लिए कोई प्रयास किया। जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने CAQM के कार्यशैली पर भी नाराजगी जताते हुए कहा कि उसने आदेशों के कार्यान्वयन को लागू करने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया। यहां तक कि सुरक्षा और आदेशों को लागू करने वाली उपसमिति ने जून 2021 के आदेशों के कार्यान्वयन पर चर्चा तक नहीं की।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सितंबर के आखिरी 15 दिनों में भी पंजाब में पराली जलाने के 129 मामले सामने आए है, जबकि इसी दौरान हरियाणा में 81 मामले सामने आ चुके। कोर्ट ने कहा कि पंजाब और हरियाणा के कुछ जिलों में 2022 की तुलना में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी हैं, हालांकि राज्यों ने जो कुछ किया है, वह पराली जलाने वालों से नाममात्र का जुर्माना वसूला है। नियम तोडने वालों पर मुकदमा चलाने के लिए सीएक्यूएम के विशिष्ट निर्देशों की अनदेखी की जा रही है। मशीनें उपलब्ध होने के बावजूद उनका उपयोग नहीं किया जा रहा है। आयोग में नियुक्त विशेषज्ञ सदस्यों की क्षमता पर आपत्ति जताई गई है। समिति की एक बैठक में 11 में से केवल 5 सदस्य उपस्थित थे।समिति ने भी बैठक में भाग नहीं लिया कि जून 2021 के आदेशों के कार्यान्वयन पर चर्चा करें।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग पोर्टल पर आई आम जनता की शिकायतों पर आयोग अविलंब एक्शन ले। कोर्ट ने केंद्र सरकार वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के साथ मिलकर बात करे। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से फंड रिलीज करने को कहा है। इसके अलावा कोर्ट ने सरकार से कहा कि आयोग में दो विशेषज्ञों के खाली पद क्यों नहीं भरे गए, उन्हें जल्द भरा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र पंजाब और हरियाणा सरकार से इस मामले पर उठाए गए कदमों पर हलफनामा मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को होगी।