छत्तीसगढ़ में धर्मांतरित ईसाई को किसी अन्य धर्म के लिए निर्धारित भूमि पर अंतिम संस्कार का अधिकार देने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की पीठ ने विभाजित फैसला दिया। हालांकि अंतिम संस्कार के लिए पीठ के दोनों जजों ने मामले को बड़ी पीठ को न भेजने का फैसला करते हुए उस गांव से दूर स्थित ईसाई कब्रिस्तान में दफनाने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शव का अंतिम संस्कार मृतक के गांव से अलग करकवाल के कब्रिस्तान में किया जाएगा और वहां मृतक परिवार को सभी तरह की सहायता दी जाएगी। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि इस मामले को तीसरे जज की बेंच को नहीं भेजना चाहते क्योंकि शव 7 जनवरी से मुर्दाघर में है।
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने अनुच्छेद 142 के तहत अधिकारो का उपयोग करते हुए निर्देश जारी किया।जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि भाईचारा बढ़ाना सभी नागरिकों का दायित्व है। अजीबोगरीब तथ्यों को ध्यान में रखते हुए और यह कि पिता का शव 7 जनवरी से पड़ा हुआ है। पैतृक गांव में निजी कृषि भूमि, तथापि कोई लाभ नहीं लिया जाना चाहिए। हम छत्तीसगढ़ सरकार को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश देते हैं। जस्टिस बीवी नागरत्ना के फैसले से जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने अगल फैसला दिया। जस्टिस नागरत्ना ने याचिकाकर्ता बेटे को अपने पिता को अपनी निजी संपत्ति में दफनाने की अनुमति दी, जबकि जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने कहा कि दफन सिर्फ ईसाइयों के लिए निर्दिष्ट क्षेत्र में ही किया जा सकता है, जो कि करकापाल गांव में है, ये जगह याचिकाकर्ता के मूल स्थान से लगभग 20-25 किलोमीटर दूर है।
दरअसल, छत्तीसगढ़ के बस्तर के सुभाष बघेल के शव को दफनाने को लेकर चल रहे विवाद के मामले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दी गई थी। मृतक के बेटे रमेश बघेल की ओर से दाखिल याचिका पर हाई कोर्ट ने उनके पिता को उनके ही गांव के कब्रिस्तान में ईसाई समुदाय के लिए निर्धारित जगह में दफनाने की अनुमति देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था। मृतक सुभाष बघेल के बेटे रमेश बघेल का कहना है कि छिंदावाड़ा गांव में एक कब्रिस्तान है जिसे ग्राम पंचायत ने दफनाने और दाह संस्कार के लिए आवंटित किया था। इस कब्रिस्तान में अलग-अलग समुदायों के लिए अलग-अलग क्षेत्र निर्धारित हैं। ईसाई समुदाय के लिए निर्धारित क्षेत्र में ही याचिकाकर्ता की चाची और दादा को दफनाया गया था। याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता अपने पिता का अंतिम संस्कार इसी जगह में करना चाहते हैं, लेकिन कुछ ग्रामीणों ने इसका जोरदार विरोध किया और हिंसा पर उतर आए।