आपराधिक मामलों में जमानत को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। जमानत देने के नियम को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से परिभाषित करते हुए कहा कि जमानत नियम है और जेल अपवाद और य़ह नियम विशेष क़ानूनों में भी लागू होगा। जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जब ज़मानत देने का मामला बनता है तो अदालतों को ज़मानत देने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कानून के तहत अदालतें ज़मानत देने से मना करती हैं तो य़ह आरोपी के जीने के अधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा कि भले ही अभियोजन पक्ष के आरोप बहुत गंभीर हो सकते हैं लेकिन अदालत का कर्तव्य है कि वह मामले पर कानून के अनुसार विचार कर फैसला करे
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर अदालतें उचित मामलों में भी ज़मानत देने से इनकार करने लगती हैं तो यह अनुच्छेद 21 के तहत जीने के मौलिक अधिकारो का उल्लंघन होगा, इसलिए हम ज़मानत दे रहे हैं, दरअसल, सुप्रीम कोर्ट का य़ह फैसला एक मकान मालिक को जमानत देते हुए कही, जिसपर PFI के सदस्य की मदद करने का आरोप था। आपको बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को जमानत देते हुए कहा था कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है।