मलयालम सिनेमा में महिलाओं के शोषण के मामले में महिला एक्टर को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को गवाहों के बयान के आधार पर FIR दर्ज करने का रास्ता साफ किया है। जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली बेंच ने जस्टिस हेमा कमेटी के सामने गवाहों के बयानों के आधार पर FIR दर्ज करने के केरल हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश मे कहा कि आपराधिक न्यायशास्त्र गवाहों के बयान के आधार पर FIR दर्ज करने की अनुमति देता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा एक बार संज्ञेय अपराध के बारे में सूचना मिलने के बाद पुलिस अधिकारी कानून के तहत आगे बढ़ने के लिए बाध्य है। ऐसे मे पुलिस की जांच करने की शक्तियों पर रोक लगाने का निर्देश नहीं दिया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के अक्टूबर 2024 के आदेश को चुनौती देने वाली तीन याचिकाओ पर 21 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें पुलिस को महिला एक्टरों द्वारा उनके साथ हुए दुर्व्यवहार के बारे में जस्टिस हेमा समिति को दिए गए बयानों के आधार पर FIR दर्ज करने का निर्देश दिया गया था।
दरअसल केरल हाई कोर्ट ने जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट से संबंधित मामलों की सुनवाई करते हुए कहा था कि जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट में गवाहों के बयानों से संज्ञेय अपराधों के होने का पता चलता है, ऐसे मे इसे BNSS की धारा 173 (संज्ञेय अपराध के होने के बारे में सूचना मिलने पर एफआईआर दर्ज करने का प्रावधान) के अनुसार कार्रवाई करने के लिए “सूचना” माना जा सकता है, इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दी गई थी।