तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के खिलाफ 2015 का कैश फॉर वोट मामले में चल रहे ट्रायल को तेलंगाना से बाहर ट्रांसफर करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने रूख में बदलाव किया है। जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने गुरुवार सुबह पहले तो केस ट्रांसफर करने की मांग ठुकरा दी लेकिन दोपहर जब कोर्ट को बताया गया कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ टिप्पणी की है, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने रुख में बदलाव करते हुए कहा कि अब केस को ट्रांसफर करने पर विचार करना होगा। सुप्रीम कोर्ट अब मामले पर अगली सुनवाई 2 सितंबर को करेगा।
दरअसल, गुरुवार सुबह तेलंगाना के मुख्यमंत्री के खिलाफ केस ट्रांसफर की मांग को ठुकराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह दोपहर 2 बजे मामले में अपनी तरफ से पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त करने पर आदेश देगा लेकिन दोपहर दो बजे सुनवाई शुरू होने के बाद BRS नेता के कविता की जमानत पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की ओर से दिए गए बयानों पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि क्या संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को इस तरह से बयान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने जो बयान मे जो कुछ कहा है उसे क्या उन्होंने पढ़ा है?। एक मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए ऐसे बयान आशंका पैदा कर सकते हैं। एक संवैधानिक पदाधिकारी इस तरह से बोल रहा है? हम किसी राजनीतिक दल से सलाह-मशविरा करके अपना आदेश पारित करेंगे? यह तो केस ट्रांसफर का आधार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें किसी की आलोचना से कोई मतलब नहीं है। हम अपने विवेक और शपथ के अनुसार अपना कर्तव्य निभाते हैं।
जस्टिस बी आर गवई ने कहा कि हम हमेशा कहते हैं कि हम विधायिका के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं और उनसे भी यही अपेक्षा की जाती है अगर आपको सुप्रीम कोर्ट का सम्मान नहीं है तो मुकदमा कहीं और ले जाइए, कोई यह कैसे कह सकता है कि हम राजनीतिक कारणों से आदेश पारित करते हैं? अगर आपको सुप्रीम कोर्ट का सम्मान नहीं है तो ट्रायल कहीं और भेज देंगे। अखिर यह यह देश की सबसे बड़ी अदालत है।ऐसी टिप्पणी पर ही कल ही हमने महाराष्ट्र के एडिशनल चीफ सेकेट्री को नोटिस जारी किया है। उन्होंने कहा कि संस्थाओं के प्रति परस्पर सम्मान होना चाहिए।