न्यायिक अधिकारियों के बकाए पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभों के भुगतान पर दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की सिफारिशों को कथित रूप से लागू न करने के मामले में 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव आज सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने आज सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, केरल और दिल्ली जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अनुपालन हलफनामों पर गौर किया और उनके खिलाफ कार्यवाही बंद करने का आदेश दिया।
CJI ने कहा कि राज्यों के मुख्य सचिवों और वित्त सचिवों ने न्यायिक अधिकारियों को वेतन, पेंशन और भत्ते से संबंधित बकाया के भुगतान पर शीर्ष अदालत के निर्देशों का पालन किया है। अब अदालत के सामने पेश होने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने य़ह भी कहा कि हमें राज्यों के मुख्य और वित्त सचिवों को बुलाने में कोई खुशी नहीं है, लेकिन लगातार राज्यों के वकील मामले पर सुनवाई के दौरान अनुपस्थित रहे हैं। मामले की अगली सुनवाई 2 सितंबर को होगी।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश तब दिया था, जब एमिकस क्यूरी वरिष्ठ वकील के परमेश्वर ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि कई आदेशों और समय के विस्तार के बावजूद, 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने SNJPC की सिफारिशों का पूरी तरह से पालन नहीं किया है। इससे पहले कोर्ट ने तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, दिल्ली, असम, नागालैंड, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, झारखंड, केरल, बिहार, गोवा, हरियाणा और ओडिशा के शीर्ष नौकरशाहों को तलब किया था।दरअसल, अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ AIJA पूर्व न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों के लिए कल्याण और अन्य उपायों के कार्यान्वयन की मांग कर रहा है।