सुप्रीम कोर्ट में आयोजित संविधान दिवस समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संविधान हमारे वर्तमान और भविष्य का मार्गदर्शक है। इसने हर मुश्किल में उचित मार्ग दिखाया है, हर जरूरत और अपेक्षा पर खरा उतरा है, तभी तो आज जम्मू-कश्मीर में पहली बार संविधान दिवस मनाया गया है। उन्होंने कहा कि भारत के भविष्य का मार्ग बड़े सपनों और संकल्पों की सिद्धि का है। हरेक नागरिक को गरिमा पूर्ण जीवन मिले। आर्थिक और सामाजिक समानता के लिए 53 करोड़ से ज्यादा गरीबों वंचितों का खाता खुला। हमने दस करोड़ से ज्यादा घरों को गैस कनेक्शन मिला।आजादी के 75 साल बाद भी देश के सिर्फ तीन करोड़ घरों में ही नल का जल आता था। हमने कुछ सालों में 12 करोड़ घरों में नल से जल पहुंचाया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे संविधान में भगवान राम, सीता, हनुमान, बुद्ध, महावीर, गुरु गोविंद सिंह जी जैसे कई महापुरुषों के चित्र है। इससे हमें मानवीय मूल्य मिलते है। मोदी ने कहा कि अब बुजुर्गों को पेंशन के लिए अपने जीवित होने की तस्दीक करने दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते। सबको इंद्रधनुष मिशन के जरिए टीकाकरण, आयुष योजना से पांच लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज गरीबों को मिल रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ साल पहले तक बिना बिजली के घरों में शाम रात अंधेरे में कटती थी लेकिन आज बिजली पर्याप्त है। आज मोबाइल और इंटरनेट 5G कनेक्टिविटी से आधुनिक है। हम ड्रोन मैपिंग से गांव घरों की जमीनों का रिकॉर्ड है। हम इंफ्रा प्रोजेक्ट समय से पूरे हो रहे हैं। तीस चालीस साल पुराने 18 लाख करोड़ रुपए लागत वाले प्रोजेक्ट हमने पूरे कराए हैं। उन्होंने कहा कि डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 26 नवंबर 1949 को कहा था अपने हित से पहले देश का हित सबसे आगे रखेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान की मूलभावना को विकास और लोगों को सुविधा देकर हम पूरा करने की कोशिश की है। देश की प्रगति को भी गति दे रहे हैं और संविधान की मूल भावना को भी सशक्त कर रहे हैं। साथियों मैं अपनी बात डॉ राजेंद्र प्रसाद जी के शब्दों के साथ समाप्त करना चाहूंगा कि भारत को आज ईमानदार लोगों के एक समूह से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैंने वही किया जो संविधान के दायरे में रहते हुए किया जाना चाहिए। मैंने किसी के क्षेत्र में कोई अतिक्रमण नहीं किया। अपना काम किया। यहां तो सिर्फ इशारा ही करना होता है ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं है। यहां इशारा ही काफी होता है। मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं बोलूंगा।
वहीं CJI संजीव खन्ना ने कहा कि भारत के संविधान के रूप में 75 साल पहले भारत के इतिहास का एक अध्याय खुला। कोर्ट बुनियादी अधिकारों के संरक्षक के रूप में न्यायपालिका निचले स्तर से सर्वोच्च स्तर तक कार्यरत है। हम अपने संवैधानिक कर्तव्य से बंधे हैं। उन्होंने कहा कि हम ओपन और पारदर्शी भी है। हमारा फोकस जनहित, लोगों के अधिकारों की सुरक्षा के साथ हम जनता के प्रति जवाबदेह भी है। हमें अपनी स्वायत्तता और जवाबदेही का भान भी है। CJI ने कहा कि हमारी चिंताएं भी है। लंबित मामलों का बोझ, न्याय पाने के लिए बढ़ता बोझ भी हमारी चिंता है विषय है। उन्होंने कहा कि जिला अदालतों ने साढ़े चार करोड़ से अधिक मुकदमों के बोझ के बावजूद काफी बढ़िया काम किया है जबकि सुप्रीम कोर्ट मे 54 हजार मुकदमे लंबित है फिर भी कोर्ट सफलता से मुकदमों जा बोझ घटाने में जुटा है।
CJI ने कहा कि इस बात के लिए सरकार का आभार कि कोर्ट्स का मूलभूत ढांचा खासकर ई कोर्ट्स की स्थापना और विकास के लिए 700 करोड़ रुपए से ज़्यादा का बजट उपलब्ध कराया। CJI ने कहा कि जेलों में बढ़ती कैदियों की भीड़ भी बड़ी समस्या है। हमने कैदियों की संख्या को घटाने का प्रयास करते हुए कहा 18 लाख कैदियों को जमानत पर रिहा कर अदालतों ने भी अपनी भूमिका निभाई है। वही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सुप्रीम कोर्ट की सालाना रिपोर्ट की दो वॉल्यूम में रिपोर्ट भी जारी की गई है। इसके बाद CJI ने प्रधानमंत्री को तिहाड़ के एक कैदी के हाथों बनाई गई पेंटिंग भेंट की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा कि लोकतंत्र के महत्वपूर्ण दिवस के साथ आज मुंबई में लोकतंत्र पर हुए हमले का दिन भी है। हम उसमें दिवंगत हुए लोगों को नमन करते हैं और अगर कोई ऐसी घटना को अंजाम देने की कोशिश करेगा तो आतंकी गतिविधियों और उनके संचालक संगठनों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।