मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला देते हुए कहा है कि ‘जमानत नियम है और जेल अपवाद’, ये नियम प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग के केस भी लागू होता है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने साफ किया है कि PMLA के सेक्शन 45 के तहत ज़मानत के लिए दोहरी शर्त का मतलब ये नहीं है कि आरोपी को ज़मानत दी ही नहीं जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी की व्यक्तिगत आजादी, आर्टिकल 21 के तहत जीवन के अधिकार का हिस्सा है। इसे सिर्फ उचित क़ानूनी प्रकिया का पालन करके ही छीना जा सकता है। कोर्ट ने आगे कहा कि मनीष सिसोदिया मामले में भी हमने कहा था कि PMLA में भी जमानत एक नियम है और जेल अपवाद है।
सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही साफ किया कि PMLA के तहत हिरासत के दौरान कोई आरोपी जांच अधिकारी के सामने अपने अपराध को स्वीकार करने जा बयान देता है तो उसे अदालत में यूं ही सबूत नहीं माना जाएगा। उसका सबूत माना जाना या नहीं माना जाना, उस केस के तथ्यों पर निर्भर करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कथित सहयोगी प्रेम प्रकाश को जमानत देते हुए ये टिप्पणी की है