जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से दोहरा झटका लगा है।जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की वेकेशन बेंच ने हेमंत सोरेन को किसी भी तरह की राहत देने से इंकार कर दिया है। दरअसल, हेमंत सोरेन ने लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए अंतरिम रिहाई के साथ-साथ अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत मामले पर पहले ही संज्ञान ले चुकी है, नियमित जमानत याचिका भी खारिज हो चुकी है, ऐसे में गिरफ्तारी को चुनौती पर सुनवाई का आधार नहीं बनता, सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद हेमंत सोरेन ने अपनी याचिका वापस ले ली।
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी हेमंत सोरेन पर नाराज़गी जताई कि सोरेन ने याचिका में तथ्य छुपाए। 4 अप्रैल को ट्रायल कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया था। नियमित जमानत भी लंबित थी, यह बातें छुपाई गईं। हेमंत सोरेन के वकील कपिल सिब्बल ने भी इसे अपनी गलती मानी, लेकिन जजों ने कहा कि अब इस याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकती। आपको बता दें कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने हेमंत सोरेन के वकील से पूछा था कि ट्रायल कोर्ट की ओर से अपराध का संज्ञान लेने के बाद उन्होंने किस तरह से गिरफ्तारी को चुनौती दी?।जस्टिस दीपांकर दत्ता ने पूछा था कि यदि याचिका हाई कोर्ट में लंबित है तो उन्होंने जमानत याचिका क्यों दायर की? साथ ही उन्होंने यह भी पूछा था कि हमें संतुष्ट कीजिए कि ऐसा क्या है जो हमें अंतरिम जमानत देनी चाहिए?।
कपिल सिब्बल ने कहा था कि ईडी के लोगों के पास केवल उन लोगों के बयान दर्ज हैं, जिन्होंने कहा है कि सामान हेमंत सोरेन का है। अवैध रूप से कब्जा कब, क्या, किस साल में आदि का उनके पास कोई सबूत नहीं है, उनके पास केवल मौखिक सबूत हैं। जस्टिस दत्ता ने कपिल सिब्बल से पूछा था कि आपकी रिट याचिका HC ने 3 मई को खारिज कर दी थी और फिर आपने 15 अप्रैल को जमानत के लिए अर्जी किया था। क्या आपने हाई कोर्ट से अनुमति ली थी कि आप फैसला नहीं सुना रहे हैं तो हम जमानत के लिए आगे बढ़ रहे हैं? इस पर सिब्बल ने कहा था कि उन्होंने हाई कोर्ट से इसके लिए नहीं पूछा था।