झारखंड सरकार की ओर से कार्यवाहक DGP का पद बनाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई है। यह अवमानना याचिका झारखंड सरकार के खिलाफ दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि 7 जनवरी की मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की मीटिंग में सरकार ने DGP के चयन और नियुक्ति के नए नियमावली को मंजूरी दी है। इन नए नियमों में डीजीपी की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में फैसलों में दी गई व्यवस्था की पूरी तरह अवहेलना की गई है। इन नए नियमों के तहत अब DGP का चयन UPSC की ओर से सरकार को भेजे गए पैनल से नहीं होगा, बल्कि DGP का चयन सरकार की ओर से गठित कमेटी करेगी जिसकी अध्यक्षता HC के रिटायर्ड जज करेंगे।
यही नहीं नए नियमों के मुताबिक सरकार ‘जनहित’ की दुहाई लेकर DGP को दो साल के उनके कार्यकाल पूरा होने से पहले भी हटा सकती है, जबकि सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो साल का होगा। याचिका में कहा गया है कि अनुराग गुप्ता (मौजूदा एक्टिंग डीजीपी) को आगे डीजीपी पद पर बनाये रखने के लिए सरकार ने SC के फैसले की अवहेलना करके इन नियमों को मंजूरी दी है। अखिल भारतीय आदिवासी विकास समिति नाम के एनजीओ की ओर से यह याचिका दायर की गई है।
याचिका में झारखंड सरकार द्वारा चयन एवं नियुक्ति नियम 2024 को मंजूरी दिए जाने को चुनौत देते हुए कहा गया है कि य़ह प्रकाश सिंह बादल मामले में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जारी किए गए निर्देशों का उल्लंघन कर कोर्ट की अवमानना की है। याचिका में कहा गया है कि सार्वजनिक हित में किसी भी समय DGP को हटाने की शक्ति अपने पास रखने और कार्यवाहक DGP के पद पर नियुक्ति के लिए नामों की सूची तैयार करने के लिए समिति का गठन के लिए कैबिनेट द्वारा चयन एवं नियुक्ति नियम 2024 को मंजूरी दी गई है, जो कि सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है।