तिरुपति लड्डू प्रसाद में मिलावट के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट ने आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री के बयान पर सवाल उठाया है। सीएम चंद्रबाबू नायडू के बयान से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भगवान को राजनीति से दूर रखा जाए। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने सवाल करते हुए कहा कि जो रिपोर्ट सार्वजनिक हुई है, वो जुलाई की है, लेकिन CM इसको लेकर बयान सितंबर में जाकर दे रहे है, इस रिपोर्ट को देखकर लगता है कि कथित मिलावट वाला घी लड्डू प्रसाद में इस्तेमाल ही नहीं हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब सरकार ने जाँच के लिए SIT का गठन किया है तो SIT के किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले CM को प्रेस में बयान देने की क्या ज़रूरत थी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के बयान पर आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि जब जांच जारी है तो संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए जो लोगो की धार्मिक भावनाओं को आहत करे,जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि प्रथम दृष्टया इस स्तर पर ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह दर्शाता हो कि नमूने में इस्तेमाल किया गया घी लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया था।जस्टिस गवई ने कहा कि इसमें पाम ऑयल भी हो सकता है। आपने कौन सी खास मैटेरियल के बारे में बताया है जिससे पता चलता है कि इसमें चर्बी का इस्तेमाल किया गया था? आंध्र प्रदेश सरकार के वकील ने कहा कि यह NDDB रिपोर्ट में है।
इस पर जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि रिपोर्ट कहती है कि यह सोयाबीन भी हो सकता है। इसका मतलब यह नहीं है कि यह मछली का ही तेल था। जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा कि राज्य सरकार को आपूर्तिकर्ता पर संदेह हो सकता है, जब आपने बयान दिया था, तो यह दिखाने के लिए क्या सबूत था कि इसका इस्तेमाल किया गया था?। कोर्ट ने अपने आदेश मे कहा कि प्रथम दृष्टया हमारा य़ह विचार है कि जब जांच का आदेश दिया गया था, तो उच्च संवैधानिक पदाधिकारियों के लिए यह उचित नहीं था कि वो जानकारी के साथ सार्वजनिक करने जाए। सुप्रीम कोर्ट ने SG तुषार मेहता से पूछा है कि क्या राज्य सरकार की SIT काफी है या फिर किसी स्वतंत्र एजेंसी को जांच सौंपी जानी चाहिए। मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को होगी।