प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं के खिलाफ अपराध पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में जल्द फैसला आना ज़रूरी है ताकि आधी आबादी का भरोसा कायम रहें। पीएम ने इस सम्बंध में डिस्ट्रिक्ट मॉनिटरिंग कमेटी की और सक्रिय बनाने पर जोर दिया। हालांकि पीएम ने अपने संबोधन में किसी घटना विशेष का जिक्र नहीं किया, जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, बच्चों की सुरक्षा समाज की गंभीर चिंता है। देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कठोर कानून बने है। 2019 में सरकार ने फास्ट ट्रेक स्पेशल कोर्ट की स्थापना की योजना बनाई। इसके तहत अहम गवाहों के लिये डिपोजिशन सेंटर का प्रावधान है। इसमें भी जिला मॉनिटरिंग कमेटी की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। इस कमेटी में जिला जज, डीएम और एसपी शामिल होते हैं।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के विभिन्न पहलुओं के बीच समन्वय बनाने में उनकी भूमिका अहम होती है। हमें इन कमेटियों को और अधिक सक्रिय करने की जरूरत है। महिला अत्याचार से जुड़े मामलों में जितनी तेजी से फैसले आएंगे ,आधी आबादी को सुरक्षा का उतना ही बड़ा भरोसा मिलेगा। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के लोगो ने हमारी न्यायपालिका, सुप्रीम कोर्ट पर कभी अविश्वास नहीं किया।लोकतंत्र में न्यायपालिका संविधान की संरक्षक है।आपातकाल जैसा काला दौर भी आया, तब न्यायपालिका ने संविधान की रक्षा में अहम भूमिका निभाई।मौलिक अधिकारों पर प्रहार हुए तो सुप्रीम कोर्ट ने उनकी रक्षा की। जब जब देश की सुरक्षा का प्रश्न आया तब न्यायपालिका ने राष्ट्रहित सर्वोपरि रखकर भारत की एकता की भी रक्षा की है।
पीएम मोदी ने कहा कि आज 140 करोड़ देशवासियों का एक ही सपना है कि विकसित भारत, नया भारत। हमारी न्यायपालिका, खासतौर पर हमारी डिस्ट्रिक्ट जुडिशरी इस विजन का मजबूत स्तंभ है। देश का सामान्य नागरिक न्याय के लिए सबसे पहले इसका ही दरवाजा खटखटाता है। जिला न्यायपालिका हर तरह से सक्षम और आधुनिक हो, यह देश की प्राथमिकता है। मुझे विश्वास है यह राष्ट्रीय सम्मेलन इसमें हुए विमर्श, देश की अपेक्षाओं को पूरा करने में मदद करेंगे। किसी भी देश में विकास का सबसे सार्थक पैरामीटर उस देश के सामान्य मानव का जीवन स्तर है। जीवन स्तर उसकी ‘ईज ऑफ लीविंग’ से तय होता है। सरल सुगम न्याय इजी ऑफ़ लिविंग के लिए अनिवार्य है। ये तभी संभव होगा जब हमारी न्यायपालिका,आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी से लैस होंगी।
पेंडिंग केस पर पीएम मोदी ने कहा कि अभी जिला अदालतों में करीब साढ़े चार करोड़ केस पेंडिंग है। इस देरी को खत्म करने के लिए बीते एक दशक में कई स्तर पर काम हुआ है। पिछले 10 वर्षों में देश ने जुडिशल इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए लगभग 8000 करोड रुपए खर्च किए हैं। पिछले 25 साल में जितनी राशि जुडिशल इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च हुई, उसका 75%खर्च पिछले 10 वर्षों में ही हुआ है। आजादी के सात दशक बाद देश ने पहली बार हमारे कानूनी ढांचे में इतने बड़े और अहम बदलाव किए है। भारतीय न्याय संहिता के रूप में हमें नया भारतीय न्याय विधान मिला है। इन कानून की भावना है सिटीजन फर्स्ट एंड जस्टिस फर्स्ट। नए क़ानून को मकसद सिर्फ सज़ा देना न होकर न्याय देना है।