दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में AAP और अरविंद केजरीवाल के खिलाफ दाखिल सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर संज्ञान लेने को लेकर राउज़ एवन्यू कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया है। चार्जशीट पर संज्ञान लेने पर कोर्ट 4 जून को आदेश सुनाएगा। आज सुनवाई के दौरान ED के वकील ने कोर्ट में कहा कि AAP और केजरीवाल दोनों एक दूसरे से जुडा मामला है। ED ने कोर्ट को AAP पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप बताते हुए कहा कि इस मामले में आरोपी विजय नायर मुख्यमंत्री आवास के पास वाले बंगले में रह रहे थे और विजय नायर सीधे केजरीवाल को रिपोर्ट कर रहे थे और वह हमेशा मुख्यमंत्री आवास पर होते थे। ED ने एक आरोपी समीर महेन्द्रू का भी हवाला दिया, जिसमें केजरीवाल और नायर के बारे मे बताया गया है।
कोर्ट ने पूछा कि आरोपी नम्बर 38 AAP किसी कंपनी की परिभाषा में कैसे आता है?। ED के वकील ने कोर्ट को बताया कि AAP इस्तेमाल किया गया शब्द ‘व्यक्तियों का संघ’ है। एक राजनीतिक दल एक संस्था है, व्यक्तियों का एक संघ है। ED ने कहा कि कई फैसलों में कहा गया है कि इस प्रकार का संघ बनाना अनुच्छेद 19(1) सी के तहत प्रदत्त अधिकार से जुड़ा है। कोर्ट ने कहा कि अगर हम PMLA के तहत देख रहे है कि वह एक कंपनी है तो हमें आरपी एक्ट को आखिर क्यों देखना चाहिए। ED ने कहा AAP एक राजनीतिक दल है। यह विवाद से परे है।
आरपी एक्ट के तहत राजनीतिक दल व्यक्तियों का एक संगठन है। एक कंपनी में व्यक्तियों का एक संघ भी शामिल होता है। एक राजनीतिक दल ‘व्यक्तियों के संघ’ के अर्थ के अंतर्गत आता है जिसे आरपी अधिनियम द्वारा मजबूत किया गया है। ED ने कहा कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली की नई शराब नीति घोटाले के सरगना और मुख्य साजिशकर्ता है। जिसमें आप नेता और अन्य व्यक्ति शामिल हैं। उनके द्वारा रिश्वत की मांग की गई। AAP के चुनाव अभियान के लिए इसका उपयोग करने सहित अपराध की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल।
विजय नायर का उत्पाद विभाग से कोई लेना-देना नहीं था, लेकिन वह यह कहते फिर रहे थे कि वह AAP के लिए फंड के बदले में अनुकूल प्रावधान हासिल कर सकते हैं। विजय नायर ने दिल्ली सरकार के लिए व्यक्तियों से कोई व्यावसायिक मुलाकात नहीं की थी। ED के वकील ने कहा कि केजरीवाल ने विजय नायर को सपोर्ट किया था और उन्होंने दिल्ली सरकार की ओर से लोगों के साथ मीटिंग की और पार्टी फंड के लिए काम करने को कहा था।
ED ने कहा कि GoM की स्थापना केजरीवाल ने ही की थी। वो अपराध की आय अर्जित करने की बड़ी साजिश का हिस्सा थे। उन्होंने ही य़ह सुनिश्चित किया था कि GoM का सिर्फ दिखावा हो और कोई वास्तविक बैठक और चर्चा उसमे न हो। ED ने कहा कि कुछ स्टेकहोल्डर्स जो निवेश करने के लिए तैयार थे लेकिन इनकी मांगों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे उन्हें बाहर कर दिया गया। जैसे पंजाब में कुछ थोक व्यापारी भी थे जो भुगतान करने के लिए सहमत नहीं थे और फिर उन्हें इससे बाहर निकलने को लिए मजबूर होना पड़ा।