जम्मू-कश्मीर टेरर फंडिंग मामले में आरोपी और बारामूला से निर्दलीय सांसद राशिद इंजीनियर की ओर से संसद सत्र में शामिल होने के लिए कस्टडी पैरोल की मांग वाली अर्जी पर दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस विकास महाजन की सिंगल बेंच ने कहा कि राशिद इंजीनियर की अंतरिम जमानत याचिका पर 11 फरवरी को सुनवाई की जाएगी। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि राशिद के खिलाफ अभी ट्रायल चल रहा है, राशिद को सज़ा नहीं हुई है, कस्टडी पैरोल के विरोध के समर्थन में कोई दलील नहीं दी गई है।
वहीं दूसरी ओर NIA ने कस्टडी पैरोल की मांग वाली अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि संसद सत्र में शामिल होने के लिए कस्टडी पैरोल की मांग करने का अधिकार नहीं है। NIA ने एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि एक बार गिरफ्तार होने या कानूनी रूप से हिरासत में होने के बाद सांसद को सदन की बैठक में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। NIA ने कहा कि सुरेश कलमाड़ी के फैसले में स्पष्ट रूप से कहा गया कि आरोपी के पास संसद सत्र में शामिल होने के लिए राहत मांगने का कोई निहित अधिकार नहीं है। NIA ने कहा कि अगर सांसद आपराधिक कार्यवाही में शामिल हैं, तो सांसदों को प्राप्त अधिकार और दायित्व लागू नहीं होंगे।
वहीं राशिद के वकील ने कहा कि हाई कोर्ट के पास राशिद को सदन में जाने की अनुमति देने का विवेकाधिकार है। राशिद का मामला सुरेश कलमाड़ी के मामले से बहुत अलग है, जबकि राशिद सुरक्षा के लिए ख़तरा नहीं है। हाईकोर्ट ने पूछा कि रशीद सुरक्षा के लिए खतरा कैसे है?। NIA ने कहा कि राशिद को सशस्त्र बलों द्वारा सुरक्षा प्रदान करनी होगी, जिसकी अनुमति नहीं है, क्योंकि संसद में हथियारबंद लोग कैसे घुस सकते हैं, इस पर प्रतिबंध है। NIA ने जम्मू-कश्मीर से मिली सूचना का हवाला देते हुए कि कहा कि राशिद जेल में फोन का इस्तेमाल कर रहा था, उसे हटा दिया गया है। हालांकि हमारी चिंता यह है कि इसमें NIA के दायरे से बाहर तीसरे पक्ष के मानदंड, सुरक्षा मुद्दे और चिंताएं शामिल हैं और संसद में शामिल होने के लिए कस्टडी पैरोल सही नहीं है।