दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अभी जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को अपने आदेश में केजरीवाल की जमानत पर लगी रोक को बरकरार रखने का आदेश दिया। जस्टिस सुधीर कुमार जैन की वेकेशन बेंच ने माना कि निचली अदालत के केजरीवाल को ज़मानत देने के आदेश में कई खामियां है। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने PMLA के सेक्शन 45 के तहत ज़मानत की ज़रूरी शर्तों पर विचार नहीं किया। ED को निचली अदालत में जिरह के लिए पूरा मौका देना चाहिए था।निचली अदालत ने केस से जुड़े सारे दस्तावेजो को देखे बगैर ही ज़मानत का आदेश दे दिया।
दरअसल, सोमवार को भी केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से फ़िलहाल राहत नहीं मिली थी। जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस SVN भट्टी की वेकेशन बेंच ने अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई 26 जून के लिए टाल दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश का इतंज़ार करना बेहतर समझा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली हाई कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश पर रोक को लेकर आदेश सुरक्षित रखा हुआ है, इसलिए अभी सुप्रीम कोर्ट का दखल देना ठीक नहीं रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर इसी बीच दिल्ली HC का आदेश आ जाता है, तो उसे भी रिकॉर्ड पर रखा जाए। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट के रुख पर सवाल उठाते हुए कहा था कि अमूनन कोर्ट से जब किसी आदेश पर रोक की मांग की जाती है तो कोर्ट उसी वक़्त फैसला दे देता है, अपना आदेश सुरक्षित नहीं रखता, यहां हाई कोर्ट ने जो आदेश सुरक्षित रखा है, ऐसा अक्सर नहीं होता।
जब केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इस दौरान कहा कि जब हाई कोर्ट निचली अदालत के आदेश को देखे बिना स्टे कर सकता है तो फिर सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं हाई कोर्ट के आदेश को स्टे कर सकता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर हाई कोर्ट कोई गलती कर दे तो क्या सुप्रीम कोर्ट को भी वही दोहरानी चाहिए। आपको बता दें कि पिछले हफ्ते गुरुवार को राउज एवन्यू कोर्ट की वेकेशन जज न्याय बिन्दु ने केजरीवाल को नियमित जमानत दे दी थी जिसके खिलाफ एक दिन बाद शुक्रवार को ED ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसपर शुक्रवार को ही दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए आदेश सुरक्षित रख लिया था। हाईकोर्ट ने आदेश सुनाने तक राउज एवन्यू कोर्ट के जमानत देने के आदेश पर रोक लगा दी थी।