कौन से अंतर वकील और एडवोकेट अलग करते हैं।
भारतीय कानूनी प्रणाली में “वकील” और “एडवोकेट” शब्द अक्सर समान रूप से इस्तेमाल किए जाते हैं, लेकिन इनके बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर होते हैं जिन्हें समझना आवश्यक है। यदि आप कानून के छात्र हैं, या कानूनी पेशे के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो यह ब्लॉग आपके लिए है।
1. वकील (Lawyer) क्या होता है?
“वकील” एक व्यापक शब्द है जिसका उपयोग किसी भी व्यक्ति के लिए किया जाता है जिसने कानून (एल.एल.बी.) की डिग्री प्राप्त की हो। वकील बनने के लिए आपको एक विधिवत मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. की पढ़ाई पूरी करनी होती है।
- शिक्षा और योग्यता: एक वकील ने कानून की पढ़ाई पूरी की होती है और उसे कानूनी प्रक्रियाओं का बुनियादी ज्ञान होता है।
- प्रैक्टिस का अधिकार: हालांकि, एक वकील अदालत में तब तक प्रैक्टिस नहीं कर सकता जब तक वह बार काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ पंजीकृत न हो जाए। इसके बिना, वकील कानूनी सलाह तो दे सकता है, लेकिन अदालत में पैरवी नहीं कर सकता।
2. एडवोकेट (Advocate) क्या होता है?
“एडवोकेट” एक विशेष प्रकार का वकील होता है जो बार काउंसिल ऑफ इंडिया में पंजीकृत होता है और उसे अदालत में प्रैक्टिस करने का अधिकार प्राप्त होता है।
- शिक्षा और पंजीकरण: एडवोकेट बनने के लिए, आपको कानून की डिग्री प्राप्त करने के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ पंजीकरण कराना होता है।
- प्रैक्टिस का अधिकार: पंजीकरण के बाद, एक एडवोकेट अदालत में अपने मुवक्किल की ओर से कानूनी मामलों में तर्क प्रस्तुत कर सकता है और कानूनी दस्तावेज तैयार कर सकता है।
3. वकील और एडवोकेट में मुख्य अंतर:
- पंजीकरण: वकील बनने के लिए कानून की पढ़ाई पूरी करना जरूरी है, लेकिन केवल पढ़ाई पूरी कर लेने से आपको अदालत में प्रैक्टिस करने का अधिकार नहीं मिल जाता। इसके लिए आपको बार काउंसिल के साथ पंजीकरण कराना पड़ता है, और पंजीकरण के बाद आप “एडवोकेट” बन जाते हैं।
- प्रैक्टिस का अधिकार: एडवोकेट को अदालत में किसी भी प्रकार के कानूनी मामले की पैरवी करने का कानूनी अधिकार होता है। वहीं, वकील को अदालत में प्रैक्टिस करने का अधिकार नहीं होता जब तक वह एडवोकेट के रूप में पंजीकृत न हो जाए।
- जिम्मेदारियां और कार्यक्षेत्र: एक एडवोकेट अपने मुवक्किल का प्रतिनिधित्व कर सकता है, अदालत में बहस कर सकता है, और कानूनी दस्तावेज तैयार कर सकता है। दूसरी ओर, एक वकील अपने ज्ञान का उपयोग कानूनी सलाह देने में कर सकता है, लेकिन वह अदालत में मुवक्किल का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता।
4. निष्कर्ष:
वकील और एडवोकेट के बीच का अंतर कानूनी पेशे में एक महत्वपूर्ण विभाजन को दर्शाता है। जबकि हर एडवोकेट एक वकील होता है, हर वकील एडवोकेट नहीं होता। एडवोकेट बनने के लिए अतिरिक्त कदम, जैसे कि बार काउंसिल में पंजीकरण, जरूरी होते हैं, जिससे वकील अदालत में प्रैक्टिस कर सके। यह अंतर न केवल कानूनी पेशेवरों के कार्यक्षेत्र को अलग करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि न्यायिक प्रक्रिया में केवल पंजीकृत और योग्य व्यक्ति ही अदालत में प्रैक्टिस करें।
अगर आप कानून के क्षेत्र में प्रवेश करने की सोच रहे हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप वकील और एडवोकेट के बीच के इस अंतर को समझें और अपने करियर के मार्ग को सही दिशा में तय करें।