घरेलू कामगारों के शोषण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 6 महीने में कानून बनाने को लेकर एक कमिटी गठित कर कानून की रूपरेखा बनाने का निर्देश दिया हैं। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि घरेलू कामगार देश की वर्कफोर्स का अहम हिस्सा है लेकिन न तो उन्हें श्रम कानूनों के दायरे में रखा गया है और न ही कोई अन्य कानून उनके हितों की रक्षा के लिए बना है, जिसकी वजह से घरेलू कामगार अपने नियोक्ताओं और एजेंसियों के हाथों शोषित होने के लिए मजबूर हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के बाद श्रम मंत्रालय, महिला एवं बाल कल्याण, सामाजिक न्याय व अधिकारिता और विधि मंत्रालय आपस में विचार विमर्श कर घरेलू कामगारों के लिए कानून की रूपरेखा सुझाने के लिए एक एक्सपर्ट पैनल गठित करने का आदेश दिया।एक्सपर्ट पैनल 6 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट देगा, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट घरेलु कामगारों के लिए कानून मामले पर सुनवाई करेगा।
दरअसल, उत्तराखंड की एक घरेलू कामगार के मामले पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था, जिसमें घरेलू कामगार के द्वारा उसे सैलरी नहीं मिलने के लिए अपने मालिक पर मुकदमा दर्ज कराया, जहां हाई कोर्ट ने भी मुकदमे को खारिज करने से इंकार कर दिया था, जिसके बाद हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दी गई और सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमा रद्द करते हुए केंद्र को 6 महीने में कानून की रूपरेखा तय करने का आदेश दिया।