अमरन अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की बिगड़ती सेहत के मामले में दायर अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 2 जनवरी के लिए टल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को अस्पताल में स्थानांतरित करने के आदेश का पालन करने के लिए पंजाब सरकार को 3 दिनों का और समय दिया है।दरअसल, पंजाब सरकार ने अतिरिक्त समय दिए जाने की मांग की थी। मंगलवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस सुधांशु धूलिया की वेकेशन बेंच में पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरविंदर सिंह पेश हुए। उन्होंने कहा कि कल दो चीजें देखने को मिली, पहला, पंजाब बंद का ऐलान, दूसरा कल बिल्कुल भी ट्रैफिक मूवमेंट नहीं था। हस्तक्षेपकर्ता का आवेदन है कि यदि केंद्र हस्तक्षेप करेगी तो डल्लेवाल बात करने को तैयार हैं।
मंगलवार को ही पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रदर्शनकारी किसानों के साथ विभिन्न स्तरों पर बातचीत चल रही है और डल्लेवाल को अस्पताल में स्थानांतरित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परिस्थितियों की समग्रता को ध्यान में रखते हुए अधिक समय देना न्याय के हित में है और राज्य सरकार का कहना है कि वांछित नतीजे हासिल करने के लिए किसानों और केंद्र के बीच बातचीत जरूरी हो सकती है।सुनवाई के दौरान पंजाब के मुख्य सचिव और DGP वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों अधिकारियों की उपस्थिति को दर्ज किया। मामले की अगली सुनवाई 2 जनवरी को होगी।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने उन कुछ किसान नेताओं पर नाराजगी जताई थी, जो डल्लेवाल को अस्पताल में शिफ्ट नहीं होने दे रहे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक बीमार व्यक्ति (जगजीत सिंह डल्लेवाल) को इलाज के लिए अस्पताल ले जाने से रोकना क्रिमिनल ऑफेंस है। जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कहा था कि किसी को मेडिकल के लिए हॉस्पिटल ले जाने से रोकना आत्महत्या के लिए उकसाने के समान है। जस्टिस सूर्यकांत ने पंजाब सरकार से कहा था कि डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती करने से रोकने वालों के साथ कैसे निपटना है, आपको बेहतर पता है, अगर पंजाब सरकार को केंद्र से कोई सहायता चाहिए तो हम आदेश देने के लिए तैयार हैं। हम इतना जानते हैं कि कोर्ट के आदेश का पालन हर हाल में होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हमें आश्चर्य है कि कुछ किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को अस्पताल नहीं ले जाने दे रहे हैं, वे किसान नेता हैं या कुछ और? आख़िर वो चाहते क्या हैं। दरअसल, पंजाब सरकार की तरफ से कोर्ट को जब बताया गया कि किसान डल्लेवाल को अस्पताल ले जाने से रोक रहे हैं। पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया था कि अगर डल्लेवाल को जबरन अस्पताल ले जाया गया तो किसानों और पुलिस दोनों पक्षों को जान-माल का नुकसान होने का खतरा है। पंजाब सरकार पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोर्ट के आदेश के बावजूद डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती न करना अवमानना का मामला है और अदालत का अगला कदम क्या होगा, यह राज्य सरकार को पता होना चाहिए।