OTT प्लेटफार्म की निगरानी के लिए नियामक बोर्ड के गठन की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। वकील शशांक शेखर झा की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि थियटर में फ़िल्म रिलीज होने के लिए सेंसर बोर्ड का सर्टिफिकेट होना ज़रूरी है, लेकिन OTT कंटेंट के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। इसके चलते इन प्लेटफार्म पर हिंसक और अश्लील सामग्री से लेकर ऐसी सामग्री की भरमार है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा कर सकती है। मौजूदा आईटी रुल इसके नियमन में नाकाम साबित हुए है। इसलिए ज़रूरी है कि सरकार इस प्लेटफार्म पर परोसे जाने वाले कंटेंट पर निगरानी के लिए एक नियामक बोर्ड का गठन करें। सेकेट्री लेवल के आईएएस की अध्यक्षता में गठित होने वाले इस बोर्ड में मूवी, सिनेमेटोग्राफी, मीडिया, डिफेंस सर्विसेज, क़ानून और दूसरे विषयों के विशेषज्ञ शामिल हो।
याचिका में OTT प्लेटफॉर्म को रेगुलेट करने के लिए सेंट्रल बोर्ड फॉर रेग्युलेशन एंड मॉनीटरिंग आफ़ ऑनलाइन वीडियो कंटेंट (CBRMOVC) बोर्ड का गठन करने का आदेश देने की मांग करते हुए OTT प्लेटफॉर्म को CBRMOVC के नियमों का पालन करने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका मे कहा गया है कि भारत में OTT और स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म की निगरानी और प्रबंधन के लिए एक रेगुलेटरी बोर्ड बनाने की मांग की गई है। इस बोर्ड का नेतृत्व सचिव स्तर के एक IAS अधिकारी द्वारा किया जाना चाहिए। इस बोर्ड में फिल्म, सिनेमैटोग्राफिक, मीडिया, रक्षा बल, कानूनी क्षेत्र और शिक्षा के क्षेत्र सहित विभिन्न क्षेत्रों से सदस्य हो।
याचिका में कहा गया है कि OTT के कंटेंट रिलीज़ से पहले सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया से नहीं गुज़रती है, जिसके कारण OTT पर अक्सर उचित चेतावनी के बिना ही अश्लील दृश्य, हिंसा, नशीले पदार्थों के सेवन और अन्य हानिकारक सामग्री में लगातार वृद्धि हुई है जबकि सिनेमाघरों में दिखाई जाने वाली फ़िल्मों के रिलीज से पहले सर्टिफिकेट दिया जाता है। याचिका में यह भी कहा गया है कि सरकार ने IT कानून 2021बनाया लेकिन इस नियम का कोई असर OTT कंटेंट पर नहीं पड़ा है। प्लेटफ़ॉर्म नियमों की खामियों का फ़ायदा उठा रहे और बिना किसी जांच के विवादास्पद सामग्री डालते रहते हैं, जिसका असर राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर पड़ता है, इतना ही नहीं जुआ और ड्रग्स जैसी चीज़ों को भी इसकी वजह से बढ़ावा मिल रहा है।