सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा है कि क्या ऐसा कोई नियम है जिसके चलते दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल में रहने के चलते सज़ा में छूट की मांग वाली फ़ाइलों पर दस्तखत नहीं कर सकते?। सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल हरप्रीत सिंह नाम के शख्श की याचिका की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार से किया, जिसकी रिहाई की मांग वाली अर्जी सीएम केजरीवाल के हस्ताक्षर न होने के चलते कई महीने से लंबित है।
दरअसल, सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि मुख्यमंत्री के जेल में रहने के चलते समय से पहले रिहाई की मांग वाली अर्जियों पर अभी फैसला नहीं हो पा रहा है।इस पर सुप्रीम कोर्ट ने ASG ऐश्वर्या भाटी से पूछा कि क्या सीएम केजरीवाल के इन फ़ाइल पर दस्तखत करने पर रोक है। ASG ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि इससे पहले कभी ऐसी स्थिति बनी। ये अपने आप में पहला मामला है, जब मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए कोई जेल में है। केजरीवाल की ज़मानत पर कल आदेश सुरक्षित रखा जा चुका है। मैं इस बारे में निर्देश लेकर कोर्ट को अवगत कराऊंगी।
इस पर जस्टिस अभय एस ओका ने कहा कि यह मसला सिर्फ एक केस तक सीमित नहीं है। दूसरे मामलों में भी ये सवाल उठ सकता है। लोगों की व्यक्तिगत आजादी से जुड़े मसले को यूँ ही पेंडिंग नहीं रखा जा सकता। आप इस पर अपना रुख स्पष्ट करें अन्यथा हम आर्टिकल 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करना होगा, इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 23 सितंबर के लिए टाल दी।