पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन से जुड़े अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने IMA के चेयरमैन आर वी अशोकन की ओर से एक इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ टिप्पणी करने पर एक मात्र मीडिया संस्थान में माफीनाम प्रकाशित किए जाने पर नाराजगी जाहिर की। जस्टिस हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि IMA अध्यक्ष की माफी को सभी प्रमुख अखबारों में प्रकाशित किया जाना चाहिए। कोर्ट ने अशोकन को कहा कि आपको उन सभी अखबारों में माफीनामा छपवाना होगा, जिसमें उन्होंने इंटरव्यू दिया था। य़ह माफ़ीनामा आपको IMA के पैसे से नहीं बल्कि अपने पैसे से छपवाना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि IMA अध्यक्ष प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया को अपना माफी भेजकर अपना पल्ला नहीं झाड़ सकते। उन्हें माफीनामे को उन सभी अखबारों में प्रकाशित किया जाना चाहिए जिनमें उनका साक्षात्कार था। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कि डॉ. अशोकन अपने लिए और अधिक मुसीबतें मोल ले रहे हैं। इसपर अशोकन की ओर से पेश वकील पीएस पटवालिया ने कहा कि अशोकन खुद को अवमानना के आरोप से मुक्त करने के लिए उचित कदम उठाएंगे। फ़िलहाल सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई 27 अगस्त को करेगा।
आपको बता दें कि IMA के अध्यक्ष डॉ आर वी अशोकन ने बयान को लेकर सार्वजनिक रूप से माफी मांगी थी। उन्होंने कहा था कि वह अपने वक्तव्य के लिए खेद व्यक्त करते हैं और कोर्ट की गरिमा को कम करने का उनका कभी कोई इरादा नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड से जुड़े भ्रामक विज्ञापन संबंधी मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि उसका मानना है कि आईएमए को भी अपना घर ठीक करने की जरूरत है। कोर्ट में दायर हलफनामे में भी डॉ अशोकन ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ अपने बयान को लेकर बिना शर्त माफी मांगी थी।