सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के 75वें साल के पूरे होने पर 29 जुलाई से तीन अगस्त तक स्पेशल लोक अदालत का आयोजन सुप्रीम कोर्ट में किया गया, उसके उपलक्ष्य में आयोजित समापन समारोह में बोलते हुए कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि 29 जुलाई से तीन अगस्त चले लोक अदालत में अलग-अलग तरह के मामलो का निपटारा किया गया। सुप्रीम कोर्ट की पहल काफी जोरदार रही। मेघवाल ने कहा कि इस देश मे पहली लोक अदालत भगवान कृष्ण ने लगाई थी। भगवान कृष्ण के प्रस्ताव को दुर्योधन ने नहीं माना तो समस्या हुई, तब दिनकर साहब ने लिखा कि दो न्याय अगर आधा दो पर उसपर भी बाधा हो तो दे दो मुझको पांच ग्राम। इसपर ही दिनकर जी ने कहा कि जब नाश मनुष्य पर छाता है तो पहले विवेक मर जाता है। ऐसे में विवेक को जगाने का काम लोक अदालते करती है।
कानून मंत्री मेघवाल ने कहा कि CJI ने मुझे य़ह बताया कि सुप्रीम कोर्ट में आयोजित किए गए इस लोक अदालत में लगभग 1000 मामले का निपटारा किया गया। अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, कुछ बात तो है सुप्रीम कोर्ट में, उन्होंने कहा कि इस काम को करने के लिए अलग बिहेवियर होना चाहिए। दुनिया में सबसे सफल इंसान वही होता है जिसे टूटे को बनाना और रूठे को मनाना आता है। उन्होंने कहा कि आनंद वहां नहीं है जहां धन मिले आनंद तो वहां है जहां मन मिले। आज उन सभी को बधाई देता हूं जिन्होंने लोक अदालत के जरिए लोगों को न्याया दिलाने मे भाग लिया। इस कार्यक्रम के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कोविड के दौरान अपने माता-पिता दोनों को खोने वाले 1065 छात्रों को छात्रवृत्ति प्रमाणपत्र सौंपे। इसके जरिए उन्हें चार साल तक हर साल 45 हजार रुपये मिलेंगे।
इस मौके पर CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने 29 जुलाई से तीन अगस्त तक सुप्रीम कोर्ट मे आयोजित की गई लोक अदालत के आयोजन पर कहा कि एक टीम का लीडर उतना ही बेहतर हो सकता है,जितनी उनकी टीम। उस पूरी टीम के सहयोग के बिना य़ह संभव नहीं है। CJI ने कहा कि सुप्रीन कोर्ट भले ही दिल्ली में हो,लेकिन सुप्रीम कोर्ट पूरे देश का है और मेरी कोशिश रही है कि रजिस्ट्री के देश भर के अधिकारी शामिल रहे। उन्होंने कहा कि लोक अदालत के मामलों के निपटारे के लिए हमने पैनल में दो जज और दो बार के मेंबर को रखा। इसका मकसद य़ह था कि वकीलों का भी उचित प्रतिनिधित्व रहे। इस कार्यवाई मे जजों और वकीलों को एक दूसरे से समझने का मौका मिला। CJI ने कहा कि कई बार मुझसे पूछा जाता है कि सुप्रीम कोर्ट छोटे केस को भी इतनी अहमियत क्यों दे रहा है? इसका मकसद क्या है?। इसका जवाब है कि डॉक्टर अंबेडकर जैसे संविधान निर्माताओं ने संविधान के आर्टिकल 136 का प्रावधान किया। जिससे किसी के साथ अन्याय न होने पाए। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की स्थापना का मकसद था कि वो जनता तक न्याय सुलभ हो सके।इसका मकसद य़ह नहीं था कि US की सुप्रीम कोर्ट की तर्ज पर 180 सावैधानिक मामलो का ही निपटारा करें, बल्कि इसका मक़सद लोगों तक न्याय की पहुँच सुनिश्चित करना न्याय सबके द्वार पर है।
CJI ने कहा कि लोक अदालत का मकसद है कि लोगो को इस बात का आभास हो कि जज भी उनकी ज़िन्दगी से जुड़े है।हम भले ही न्यायपालिका के शीर्ष पर हो फिर भी हम लोगो की ज़िंदगी से जुड़े है। उन्होंने कहा कि लोगों को लगता होगा कि जज शाम चार बजे के बाद काम बंद कर देते है पर ऐसा नहीं होता है। जज अगले दिन की फ़ाइल पढ़ते है, जबकि वीकेंड पर जज आराम न कर यात्रा कर रहे होते है ताकि समाज तक पहुंच सके। CJI ने कहा कि य़ह चिंता का विषय है कि कई बार लोग क़ानूनी प्रकिया से इतने परेशान हो जाते है कि वो किसी भी तरह का सेटलमेंट करके बस कोर्ट से दूर जाना चाहते है। वही उन्होंने य़ह भी बताया कि NALSA ने पिछले साल 8.1 करोड़ मुकदमों का निपटारा किया है।