दिव्यांग लोगों का मजाक बनाने वाली फिल्मों पर रोक लगाए जाने और इसके लिए दिशानिर्देश बनाए जाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट पहली बार फिल्म और डॉक्यूमेंट्री और विजुअल मीडिया के लिए सात विस्तृत गाइडलाइन जारी किए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम विजुअल मीडिया पर दिव्यांगों को चित्रित करने के लिए एक रूपरेखा तैयार कर रहे हैं, जिसमें दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा के लिए अधिकारों के सम्मेलन में उनके अधिकार की वकालत करने वाले समूहों के परामर्श के बाद उन्हें चित्रित करने के उपाय शामिल हैं।
CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि फिल्म प्रमाणन निकाय को स्क्रीनिंग की अनुमति देने से पहले विशेषज्ञों की राय लेनी चाहिए और दिव्यांगों के लिए इस तरह की प्रतिक्रिया रूढ़िवादिता व गरिमा के विपरीत है और अनुच्छेद 14 के तहत भेदभाव विरोधी है। कोर्ट ने कहा कि फिल्म में दिखाए गए दृश्य और भाषा भेदभाव पूर्ण और दिव्यंगों की भावनाएं आहत करने वाली हैं। दरअसल दिव्यांग वकील निपुण मल्होत्रा ने सुप्रीम कोर्ट मे फिल्म आंख मिचौली का उदाहरण देते हुए सुप्रीम कोर्ट मे अपील दाखिल कर कहा था कि 2023 में रिलीज हुई इस फिल्म में अल्जाइमर से पीड़ित एक पिता के लिए ‘भुलक्कड़ बाप’, मूक बधिर के लिए ‘साउंड प्रूफ सिस्टम’, हकलाने वाले शख्श के लिए ‘अटकी हुई कैसेट’ जैसे अपमाजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। इस याचिका को हाईकोर्ट खारिज कर चुका है।
सुप्रीम कोर्ट के सात दिशानिर्देश इस प्रकार हैं:-
1. ऐसे शब्द जो संस्थागत भेदभाव को जन्म देते हैं जैसे अपंग शब्द आदि नकारात्मक आत्म छवि को जन्म देते हैं
2. वह भाषा जो सामाजिक बाधाओं को नज़रअंदाज कर देती है
3. रचनाकारों को रतौंधी जैसी हानि के बारे में पर्याप्त चिकित्सा जानकारी की जांच करनी चाहिए जो भेदभाव को बढ़ा सकती है
4. यह मिथकों पर आधारित नहीं होना चाहिए, रूढ़िवादिता दर्शाती है कि विकलांग व्यक्तियों में संवेदी महाशक्तियाँ बढ़ी हुई होती हैं और यह सभी के लिए नहीं हो सकता है
5. निर्णय में एक समान भागीदारी की जानकारी होनी चाहिए। हमारे बिना कुछ नहीं सिद्धांत का पालन नहीं किया जाएगा
6. पीडब्ल्यूडी के अधिकारों की रक्षा के लिए अधिकारों के सम्मेलन में उनके अधिकारों की वकालत करने वाले समूहों के साथ परामर्श के बाद उन्हें चित्रित करने के उपाय शामिल हैं
7. फिर हमने प्रशिक्षण और संवेदीकरण कार्यक्रमों का उल्लेख किया है