दिल्ली में भीषण गर्मी के बीच पानी की किल्लत जल्द दूर होगी।, दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार को कल (शुक्रवार) से हर दिन 137 क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्देश दिया है। जस्टिस पीके मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की वेकेशन बेंच ने गुरुवार को हरियाणा सरकार से कहा कि वह अपने क्षेत्र में पड़ने वाली नहर से पानी दिल्ली तक पहुंचने में सहयोग करे। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को हिदायत दी है कि राजधानी में पानी की बर्बादी ना हो। कोर्ट ने सभी पक्ष को इस संबंध में स्टेट्स रिपोर्ट दायर करने का भी निर्देश दिया है। मामले अगली सुनवाई 10 जून को होगी।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक हुई मीटिंग में हिमाचल पानी देने को तैयार है, लेकिन हरियाणा की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया। जस्टिस के वी विश्वनाथन ने हरियाणा सरकार की ओर से विक्रमजीत बनर्जी से कहा यह कमी की वजह से होने वाले संघर्ष की समस्या है। उन्होनें कहा कि सिर्फ रास्ते देने के अधिकार का मामला है। अगर हम इतने गंभीर मुद्दे पर संज्ञान नहीं लेते हैं तो इसका क्या मतलब है?। हिमाचल 150 क्यूसेक दे रहा है, आप (हरियाणा) पानी को पास होने दें अगर जरूरत पड़ी तो इसके लिए हम मुख्य सचिव को कहेंगे, जबकि दिल्ली की तरफ से सिंघवी ने रिपोर्ट पढ़ते हुए कहा कि वयास नदी का पानी हरियाणा की नहरों के ज़रिए भेजा जा सकता है। इसके लिए हिमाचल प्रदेश तैयार है।
हरियाणा सरकार के वकील ने कहा कि यह प्रस्ताव संभव नहीं है क्योंकि ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे यह संभव हो सके। वहीं जस्टिस मिश्रा ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा कि इसपर राजनीति नहीं होनी चाहिए कि हिमाचल पानी दे रहा है, लेकिन हरियाणा नहीं छोड़ रहा है। सिंघवी ने कहा कि य़ह सिर्फ एक महीने के लिए अंतरिम रूप के लिए मांगा था पानी पह़ुचाने के लिए। जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा कि यह अब बोर्ड की सिफारिश है। हम याचिका का संज्ञान लेकर नहीं, बल्कि उस पर आदेश पारित कर रहे हैं। जस्टिस पीके मिश्रा ने पूछा कि हिमाचल अतिरिक्त पानी छोड़ रहा है या नहीं, इसकी निगरानी कौन करेगा? हरियाणा की तरफ से कहा गया कि अतिरिक्त पानी को मापने और उसे अलग करने का तरीका नहीं है।
दिल्ली की तरफ से वकील शादान फरासत ने आरोप लगाया कि हरियाणा सुप्रीम कोर्ट के काम में बाधा डाल रहा है। उनके पास कोई वैध कारण नहीं है। जस्टिस विश्वनाथन ने दिल्ली सरकार के वकील से पूछा कि क्या जल संकट को पहचाना नहीं गया है?।जस्टिस पीके मिश्रा ने हरियाणा सरकार के वकील से पूछा कि अगर अतिरिक्त जल छोड़ने का आदेश पारित करते हैं तो आपको क्या आपत्ति है?। जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा कि बोर्ड ने केवल यह स्वीकार किया है कि दिल्ली में गंभीर संकट है। उन्होंने हरियाणा में संकट के बारे में कुछ भी नोट नहीं किया है। इसके अलावा बोर्ड ने हरियाणा से अनुरोध करने की भी बात कही है। ऐसे मे हम पानी छोड़ने का निर्देशित क्यों नहीं कर सकते हैं।
सिंघवी ने बोर्ड के मत को स्पष्ट करते हुए कहा हम पीने के पानी की मांग कर रहे हैं जबकि हरियाणा को सिंचाई के लिए पानी की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पानी हथिनीकुंड से छोड़ा जाएगा जो दोनों राज्यों से होता हुआ दिल्ली को वजीराबाद आएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपर यमुना रिवर बोर्ड के सभी सदस्य इसबात पर सहमत थे कि दोनो राज्यों में भीषण गर्मी पड रही है और दोनो को पानी की जरूरत है। हिमाचल प्रदेश पांच जून को हुई मीटिंग में शामिल था। उसने कहा की जो अतरिक्त पानी है। वो इस पानी को दिल्ली के साथ साझा करना चाहता है।