ऑक्सफोर्ड यूनियन सोसाइटी एक कार्यक्रम में मंगलवार को CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि चुनाव संवैधानिक लोकतंत्र के मूल में हैं, भारत में न्यायाधीशों का चुनाव नहीं किया जाता है, जो परिस्थितियों और संवैधानिक मूल्यों की निरंतरता की भावना को दर्शाते हैं। CJI ने राजनीतिक दबाव के मसले पर कहा कि हम सरकार के राजनीतिक अंगों से अपेक्षाकृत हमारा अलग परिवेश होता है, फिर भी जजों को अपने निर्णयों के व्यापक राजनीति पर पड़ने वाले प्रभाव से परिचित होना चाहिए। यह कोई राजनीतिक दबाव नहीं है, बल्कि कोर्ट द्वारा किसी निर्णय के संभावित प्रभाव की समझ है।
CJI ने समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट पर कहा कि मैं यहां जजमेंट का बचाव नहीं कर रहा हूं बल्कि एक जज के रूप मे मेरा य़ह मानना है कि एक बार निर्णय सुनाए जाने के बाद यह न केवल राष्ट्र की, बल्कि वैश्विक मानवता की संपत्ति बन जाता है। CJI ने कहा कि विशेष विवाह अधिनियम संसद द्वारा बनाया गया एक कानून था, जो विषमलैंगिक संबंध में विवाह की परिकल्पना करता है। इस फैसले मे मेरे तीन साथी जजों की असहमति थी कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देना संसद का ही काम है। य़ह फैसला भी न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
CJI ने कहा कि हमें न्याय की प्रक्रिया और कानून के प्रशासन को लोगों के घरों और उनके दिलों तक ले जाने की आवश्यकता है।CJI ने कहा कि जहां तक तकनीक के उपयोग की बात है।यह महत्वपूर्ण है कि हम तकनीकी उपयोग के सभी पक्षों को समझें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भविष्य के लिए अद्वितीय संभावनाओं से भरा हुआ है। हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा उपाय लागू करें, जिससे प्रक्रिया न्यायाधीश की बजाय रोबट पर स्थान्तरित न हो और न्याय का मानवीय तंत्र सुनिश्चित हो सके।
CJI ने समाज की भूमिका पर विचार रखते हुए कहा कि मेरा मानना है कि आधुनिक लोकतंत्र में समाज को और अन्य तरीकों से ही बहुत कुछ करना होगा।समाज में उठने वाले हर मुद्दे या विवाद को सुलझाने के लिए आप न्यायालय की ओर नहीं देख सकते। जजों के रूप में य़ह यह महत्वपूर्ण है कि हम एक सीमा निर्धारित करें और तय करें कि वैध रूप से हमारे अधिकार क्षेत्र में क्या आता है? और वैसे ही वैध रूप से समाज के अन्य अंगों जिसमे सिविल सोसाइटी भी शामिल है उसके अधिकार में क्या आता है?। दरअसल, CJI डीवाई चंद्रचूड़ कानून के मानवीयकरण में अदालतों की भूमिका पर ऑक्सफोर्ड यूनियन सोसाइटी में छात्रों को संबोधित कर रहे थे।