48 घंटे के भीतर वोट प्रतिशत सार्वजनिक किए जाने की मांग को दायर जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश देने से फिलहाल इंकार कर दिया है। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की वेकेशन बेंच ने कहा कि चूंकि देश में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं, इसलिए फिलहाल इस पर फिलहाल कोई आदेश नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि इस अर्जी में जो मांग की गई है, वो 2019 में दाखिल ADR की अर्जी में भी शामिल है। चुनाव प्रकिया के बीच में इस मांग को नई अर्जी के ज़रिए फिर से उठाया गया है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमे व्यवहारिक दिक़्क़तों को भी समझना चाहिए। चुनाव प्रकिया में बीच में नियमों में बदलाव कर आयोग पर दबाब डालना ठीक नहीं है, कोर्ट ने हालांकि याचिका को खारिज नहीं किया है, कोर्ट ने याचिका को पेंडिंग रखा है और गर्मी की छुट्टियों के बाद सुप्रीम कोर्ट आगे सुनवाई करेगा।चुनाव आयोग ने ADR की अर्जी का ये कहते हुए विरोध किया है कि ये महज सन्देहों या आशंकाओं पर आधारित है।
चुनाव आयोग ने कहा है कि नियमों के अनुसार फॉर्म 17C यानि किसी मतदान केंद्र पर डाले गए वोट का रिकार्ड की कॉपी केवल मतदान एजेंट को ही दी जा सकती है। नियमों में फॉर्म 17C का सार्वजनिक रूप से खुलासा किये जाने का कोई प्रावधान नहीं है। आयोग का कहना है कि फार्म 16C को वेबसाइट पर अपलोड करने से गड़बड़ी हो सकती है, इसमें छेड़छाड़ की जा सकती है। जिससे चलते चुनावी प्रकिया को लेकर जनता के बीच अविश्वास पैदा हो सकता है।